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Sunday, August 29, 2010

ग़ज़ल : प्यासे हैं हम नदी किनारे क्या कीजे

उनसे मिलते हैं ग़म सारे क्या कीजे
फिर भी वो लगते हैं प्यारे क्या कीजे

सर ढकने को छत मिलती तो अच्छा था
किस्मत में हैं चंद सितारे क्या कीजे

टूटे सपने अंधी आँखों में लेकर
मर जाते हैं लोग बेचारे क्या कीजे

जिन लोगों ने दुनिया की ख़ातिर सोचा
वो फिरते हैं मारे मारे क्या कीजे

या तो वो बहरे हैं जिनको सुनना था
या गूँगे हैं गीत हमारे क्या कीजे

शायर की आँखों में आग न पानी है
प्यासे हैं हम नदी किनारे क्या कीजे


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रवि कांत 'अनमोल'
कविता कोश पर मेरी रचनाएं
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ग़ज़ल :मेरे अंदर कहीं कुछ टूटता है

मेरा दम मेरे अंदर घुट रहा है
कहाँ है जो दरीचे खोलता है

हमेशा आइनों से झाँकता है
न जाने क्या वो मुझसे चाहता है

वो अपनी हर नज़र से हर अदा से
हज़ारों राज़ मुझपे खोलता है

मैं जितना इस जहाँ को देखता हूँ
मेरे अंदर कहीं कुछ टूटता है

जवाब उनके नहीं मिलते कहीं से
सवाल ऐसे मेरा दिल पूछता है

मैं शायद ख़ुद को खो के तुम को पा लूँ
मगर इतना कहाँ अब हौसला है

मैं पल पल सुन रहा हूँ बात उसकी
मेरे कानों में कोई बोलता है


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रवि कांत 'अनमोल'
मेरी कविता
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ग़ज़ल : क्या जगह है? मुझको ले आए कहां?

दो घड़ी इस दिल को बहलाए कहां
आदमी जाए तो अब जाए कहां

सरह्दें ही सरहदें हैं हर तरफ़
क्या जगह है? मुझको ले आए कहां?

झड़ गए पत्ते तो शाख़ें कट गई
अब दरख़्तों में हैं वो साए कहां

आम का वो पेड़ कब का कट चुका
कोयल अब गाए भी तो गाए कहां

खेल कर होली हमारे ख़ून से
पल में खो जाते हैं वो साए कहां

जिनमें कुछ इनसानियत हो, प्यार हो
अब मिलेंगे ऐसे हमसाए कहां
(हमसाए=पड़ोसी)

जिनको गाने के लिए आए थे हम
हमने अब तक गीत वो गाए कहां

--
रवि कांत 'अनमोल'
मेरी नज़्में http://aazaadnazm.blogspot.com

Tuesday, August 3, 2010

ग़ज़ल

मैत्री दिवस पर

दोस्ती को मात मत कर दोस्ती के नाम पर
इस तरह की बात मत कर दोस्ती के नाम पर

गर भरोसा उठ गया है हाथ मेरा छोड़ दे
तल्ख़ यूं जज़्बात मत कर दोस्ती के नाम पर

मुझपे पहले ही ज़माने भर के हैं एहसां बहुत
और एहसानात मत कर दोस्ती के नाम पर

मुझसे कोई बात कर अच्छी बुरी, खोटी ख़री
हाँ मगर कुछ बात मत कर दोस्ती के नाम पर

मैं बड़ी मुश्क़िल से जीता हूँ दिलों के खेल में
अब ये बाज़ी मात मत कर दोस्ती के नाम पर

मुझको मेरे हाल पर रहने दे ऐ मेरे हबीब
रहम की ख़ैरात मत कर दोस्ती के नाम पर

दोस्ती बदनाम हो जाए न दुनिया में कहीं
ऐसी वैसी बात मत कर दोस्ती के नाम पर

मुझसे रिश्ता तोड़ता है तोड ले तू हाँ मगर
आग की बरसात मत कर दोस्ती के नाम पर

दोस्ती एहसास है एहसास रहने दे इसे
बहस यूं दिन रात मत कर दोस्ती के नाम पर

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रवि कांत 'अनमोल'
aazaadnazm.blogspot.com
मेरी नज़्में

ग़ज़ल

मैत्री दिवस पर

प्यार की दोस्ती की बात करें
आइए ज़िन्दगी की बात करें

कोई हासिल नहीं है जब इसका
किस लिए दुश्मनी की बात करें

ज़िक्र हो तेरी अक़्लो-दानिश का
मेरी दीवानगी की बात करें

आप नज़दीक जब नहीं तो फिर
किस से हम अपने जी की बात करें

बीती बातों में कुछ नहीं रक्खा
बैठिए हम अभी की बात करें

बात कुछ आपकी हो मेरी हो
और हम क्यूं किसी की बात करें


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रवि कांत 'अनमोल'
aazaadnazm.blogspot.com
मेरी नज़्में