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Wednesday, September 1, 2010

ग़ज़ल : हमारा मिस्री माखन खो गया है ( श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर )

कहां गाँवों का गोधन खो गया है
हमारा मिस्री माखन खो गया है

दिए जो ख़ाब हमने ऊँचे-ऊँचे
उन्हीं में नन्हा बचपन खो गया है

महब्बत में समझदारी मिला दी
हमारा बावरापन खो गया है

जहा की दौलतें तो मिल गई हैं
कहीं अख़लाक का धन खो गया है

सुरीली बांसुरी की धुन सुनाकर
कहां वो मद-न-मोह-न खो गया है

रवि कांत 'अनमोल'
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2 comments:

  1. सुन्दर प्रस्तुति
    कृष्ण जन्माष्टमी के पर पर हार्दिक शुभकामनाये.....
    जय श्रीकृष्ण

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  2. महब्बत में समझदारी मिला दी
    हमारा बावरापन खो गया है

    जहा की दौलतें तो मिल गई हैं
    कहीं अख़लाक का धन खो गया है


    बहुत ख़ूब !!

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