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Friday, September 24, 2010

ग़ज़ल : और वो लड़की अकेली रह गई

बिन कहे कोई कहानी कह गई
उसकी आँखों में नमी सी रह गई

बर्फ़ ख़ाबों की जो पिघली ज़िहन में
आँख से कोई नदी सी बह गई

मैं भी तन्हा हो गया हो कर जुदा
और वो लड़की अकेली रह गई

आसमानों ने सितम ढाये बहुत
वो तो धरती थी कि सब कुछ सह गई

फूल डाली पर लगा है झूमने
कान में उसके हवा क्या कह गई

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रवि कांत 'अनमोल'
कविता कोश पर मेरी रचनाएं
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2 comments:

  1. वाह. बहुत ही बढ़िया. सभी शेर बहुत अच्छे.

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  2. दर्द भरे दिल की निकली सुंदर गज़ल.

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