इस तरह हो गए वो मिरे रू-ब-रू
हुस्न हो जिस तरह इश्क के रू-ब-रू
दूर ही दूर से बात मत कीजिए
आइए दो घड़ी बैठिए रू-ब-रू
आप ने मुँह जो फ़ेरा तो ये हाल है
ज़िंदगी हो गई मौत के रू-ब-रू
जी रहे हैं तो हम बस इसी आस पर
आ कभी हमको दीदार दे रूबरू
तू ही तू है दिलो
जान में हां मगर
एक चेहरा भी तो
चाहिए रूबरू
जिसने उनको बनाया
है इतना हसीं
काश उसको भी हम
देखते रूबरू
मेरी ग़ज़लों के
पर्दे में ऐ दोस्तो
रूह मेरी रही आपको
रूबरू