Shopping Ideas

Tuesday, July 8, 2014

ज्ञान की सार्थकता

एक समय ऐसा भी आता है
जब ज्ञान अर्थहीन हो जाता है
स्माप्त हो जाती है उसकी आवश्यक्ता
और साथ ही उसका अहंकार भी
तब ज्ञान भी हो जाता है
अज्ञान की तरह ही
उसके बराबर ही
यही ज्ञान की पराकाष्ठा है
और यही है उसकी सार्थकता भी
जैसे धन की सार्थकता
लोभ के स्माप्त हो जाने में है
और प्रेम की सार्थकता है
मोह के मिट जाने में
 

No comments:

Post a Comment