आज़ाद नज़्म
रवि कांत अनमोल की नज़्में और ग़ज़लें
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Wednesday, August 6, 2014
आवाज़ जब भी दो
आवाज़ जब भी दो
रुक कर देख भी लिया करो
जवाब के लिए
एक पल को
शायद
कोई इंतज़ार ही कर रहा हो
जवाब देने के लिए
तुम्हारी आवाज़ का
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