मेरे ग़ज़ल संग्रह टहलते-टहलते में से एक ग़ज़ल
प्यार की दोस्ती की बात करें
आइए ज़िन्दगी की बात करें
कोई हासिल नहीं है जब इसका
किस लिए दुश्मनी की बात करें
ज़िक्र हो तेरी अक़्लो-दानिश का
मेरी दीवानगी की बात करें
आप नज़दीक जब नहीं तो फिर
किस से हम अपने जी की बात करें
बीती बातों में कुछ नहीं रक्खा
बैठिए हम अभी की बात करें
बात कुछ आपकी हो मेरी हो
और हम क्यूं किसी की बात करें
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