उड़ गई ले हवा के पर खुश्बू
क्या पता जाए किस नगर खुश्बू
फूल की पंखुड़ी पे सोई थी
तितलियों से गई है डर खुश्बू
फूल झूमे बहार की धुन पर
पल में हर सू गई बिखर खुश्बू
असमानों से आग बरसी है
है पसीने से तर-ब-तर खुश्बू
अब तो बनती है कारखानों में
थी बहारों की हमसफ़र खुश्बू
बाग में जब भी आम पकते थे
आया करती थी मेरे घर खुश्बू
आप इक बार मुस्कुरा दीजे
जाएगी हर तरफ़ बिखर खुश्बू
तुम जहां भी जिधर भी जाते हो
फैलती है उधर उधर खुश्बू
बन गए अब मकान खेतों में
अब तो आती नहीं इधर खुश्बू
रवि कांत अनमोल
क्या पता जाए किस नगर खुश्बू
फूल की पंखुड़ी पे सोई थी
तितलियों से गई है डर खुश्बू
फूल झूमे बहार की धुन पर
पल में हर सू गई बिखर खुश्बू
असमानों से आग बरसी है
है पसीने से तर-ब-तर खुश्बू
अब तो बनती है कारखानों में
थी बहारों की हमसफ़र खुश्बू
बाग में जब भी आम पकते थे
आया करती थी मेरे घर खुश्बू
आप इक बार मुस्कुरा दीजे
जाएगी हर तरफ़ बिखर खुश्बू
तुम जहां भी जिधर भी जाते हो
फैलती है उधर उधर खुश्बू
बन गए अब मकान खेतों में
अब तो आती नहीं इधर खुश्बू
रवि कांत अनमोल